दुर्ग शहर में पहली बार खिला तीन मुखी रुद्राक्ष

दुर्ग । दुर्ग में पहली बार एक महतो परिवार के घर में रुद्राक्ष के पेड़ में फल लगे हैं। इसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आ रहे हैं। जिसके यहां रुद्राक्ष फला है वह इसे भगवान शंकर का आशीर्वाद बता रहा है। उसका कहना है कि उसके घर में तीन मुखी रुद्राक्ष फला है जो हिंदू मान्यता के अनुसार अद्भुत लाभ देता है। दुर्ग शहर के बोरसी क्षेत्र में रामाधार महतो बागवानी के लिए जाने जाते हैं। उनके घर में ही काफी बड़ी नर्सरी है। उस नर्सरी में वो सैकड़ों प्रजाति के फूल और ऑक्सीजन प्लांट के पौधा उगाकर बेचते हैं। अब उनका यह काम उनका बेटा अजय महतो देखता है। अजय ने बताया कि उनके पिता ने बाहर से रुद्राक्ष का पौधा मंगाया था। उसे घर के पास बने भगवान शंकर के मंदिर के बगल से लगा दिया था। 15-20 सालों में वह पौधा वृक्ष का रूप ले चका है। अजय ने बताया कि दुर्ग जिले में कई रुद्राक्ष के पौधे लगे होंगे, लेकिन फल देने वाला पहला पेड़ उनके यहां का है। उनके यहां का रुद्राक्ष तीन मुखी है। इस पेड़ में दूसरी बार फल लगे हैं। पहली बार काफी कम फल लगे थे। जब वह पक करके नीचे गिरे तो अजय की बूढ़ी दादी ने एक-एक फल को अपने पास संजोकर रखा। उसमें से निकले 108 रुद्राक्ष की माला बनाकर उसने भोलेनाथ की प्रतिमा को चढ़ाया और दूसरी माला एक बड़े संत को पनाई, जो उनके घर आए थे। उसके बाद दूसरी बार रुद्राक्ष के पेड़ में काफी फल लगे।
नहीं करेगा व्यौसायिक उपयोग
अजय का कहना है कि मार्केट में रुद्राक्ष के नाम पर काफी लूट है। लोगों को नकली रुद्राक्ष पकड़ा दिया जाता है। उसका कहना है कि वह इस रुद्राक्ष का व्यौसायिक उपयोग नहीं करेगा। जिन लोगों को रुद्राक्ष की जरूरत होगी और वह इसको पूजते होंगे वह उन्हें इसे देगा। तीन मुखी रुद्राक्ष के अद्भुत फल बताए गए हैं। यह भगवान शंकर की कृपा से उसके यहां फला है। इसलिए वह इसे जरूरतमंद लोगों को इसे देगा।
तीन मुखी रुद्राक्ष से क्या होता है लाभ
कहा जाता कि अगर को सावन मास के किसी भी सोमवार के दिन ब्रह्मा, विष्णु और महेश आदि त्रिदेवों के प्रतिक इस तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करता हैं तो उसके ऊपर त्रिदेवों की कृपा बरसने लगती हैं, क्योंकि तीन मुखी रूद्राक्ष में इन तीनों की शक्तियों का वास होता हैं । तीन मुखी रुद्राक्ष में अग्नि तत्व की प्रधानता है, अग्नि तत्व जो कि पंच तत्वों में भी मुख्य तत्व माना जात हैं । अग्नि तत्व की प्रमुखता होने के कारण तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक के विचारों में शुद्धता व स्थिरता आती हैं।
रुद्राक्ष पेड़ के फल की गुठली होती है इस गुठली पर प्राकृतिक रूप से कुछ सीधी धारियां होती हैं। ये धारियां स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इन धारियों की गिनती के आधार पर ही रुद्राक्ष के मुख की गणना होती है। जैसे किसी रुद्राक्ष पर तीन धारियां हैं तो वह रुद्राक्ष तीन मुखी रुद्राक्ष कहलाएगा।
रुद्राक्ष से होने वाले लाभ
रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है। जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहां सदा लक्ष्मी का वास रहता है। रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है। रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिए अर्थ और काम का दाता है। रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है। इसकी पूजा करने से सभी दु:खों से छुटकारा प्राप्त होता है। रुद्राक्ष सभी वर्णों के पाप का नाश करता है। इसे पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही हो जाता है और रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है। रुद्राक्ष को धारण करने से दुष्ट ग्रहों की अशुभता शरीर में होने वाला विषैला संक्रमण और कुदृष्टि दोष, राक्षसी प्रवृत्ति दोष शांत रहते हैं। रुद्राक्ष तेज तथा ओज में अपूर्व वृद्धि करता है।
क्या है तीन मुखी रूद्राक्ष
तीन मुखी रुद्राक्ष में 3 धारियां होती हैं। तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि स्वरूप माना जाता है। यह सत्य, रज, तथा तम इन तीनों का त्रिगुणात्मक शक्ति वैष्णो देवी का रूप है। इस रुद्राक्ष में ब्रह्रा, विष्णु, महेश तीनों शक्तियों का समावेश होता है, इसके साथ-साथ इसमें तीनों लोक अर्थात आकाश, पृथ्वी, पाताल, की भी शक्तियां निहित होती हैं। यह मानव को त्रिलोकदर्शी बनाकर भूत, भविष्य तथा वर्तमान के बारे में बताता है।
इसको धारण करने से व्यक्ति की विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों का अंत होता है तथा रचनात्मक प्रवृत्ति का उदय होता है। जो विद्यार्थी पढऩे में कमजोर हों वह इसे धारण करके अदभुत लाभ उठा सकते हैं। इसको धारण करने से मन में दया, धर्म, परोपकार के भाव पैदा होते हैं। यह पर स्त्री गमन के पापों को नष्ट करता है यह धारक अथवा पूजक के सभी पापों का अंत कर उसे तेजस्वी बनाता है।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकं मंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र ‘ओम नम: शिवायÓ से प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए।
उक्त जानकारी सूचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहों की स्थिति, बलाबल को भी ध्यान में रखकर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुंचना चाहिए।

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Author: mithlabra