रानीगंज कोयला अंचल का हश्र भी जोशीमठ जैसा हो सकता है: ममता बनर्जी

कहा- आपदा के लिए जोशी मठ के लोग जिम्मेदार नहीं है
कोलकाता । आपदा प्रभावित जोशीमठ में स्थिति को बेहद खतरनाक बताते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज कहा कि उत्तराखंड के इस छोटे से पहाड़ी शहर के निवासी आपदा के लिए जिम्मेदार नहीं हैं और केंद्र को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. लोगों की सुरक्षा के लिए युद्धस्तर पर कदम उठाये जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को बहुत पहले ही कदम उठाने चाहिए थे क्योंकि भूमि धंसने की भविष्यवाणी पहले ही हो चुकी थी.बता दें कि जोशीमठ के धंसान की घटना के बाद हलचल मची हुई है. केंद्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जोशीमठ को लोगों को हटाने का काम और पुनर्वासन का काम शुरू किया है. ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्द्धमान जिले में रानीगंज कोयला क्षेत्र का भी जोशीमठ जैसा हश्र हो सकता है क्योंकि यह क्षेत्र भी धंसाव प्रवण है. हम सरकार से 10 सालों से लड़ रहे हैं. कोल इंडिया को लेकर जो पैसे देने की बात थी आज तक पैसे नहीं दिए. रानीगंज में भी ऐसी स्थिति होने से 30 हज़ार लोग प्रभावित होंगे. बता दें कि रानीगंज कोल खदान का इलाका है. कोयला खदानों के इस्तेमाल के बाद उन्हें खाली छोड़ दिये जाते हैं और उन्हें बालू भर दिया जाता है, लेकिन इसके बाद लगातार धंसान की स्थिति बनती रहती है.धंसान के कारण ही प्राय: ही दुर्घटना की घटनाएं घटती रहती है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पुनर्वासन का प्रस्ताव दिया है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अभी तक इस बारे में कोई जवाब नहीं मिला है. ममता बनर्जी ने कहा, जब संभावित भूस्खलन की चेतावनी थी तो आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए गए? जोशीमठ में स्थिति बहुत खतरनाक है। हालांकि, पहाड़ी शहर के निवासी इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं. यह सरकार का कर्तव्य है कि वह लोगों की देखभाल करे यदि कोई आपदा है, उन्होंने कहा, सरकार को युद्धस्तर पर कदम उठाने चाहिए ताकि लोगों को परेशानी न हो. ममता बनर्जी अलीपुरद्वार के लिए रवाना हो रही थीं, जहां उनका पार्टी नेताओं से मिलने और सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक करने का कार्यक्रम है।

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Author: mithlabra