भोपाल । गुजरात और कर्नाटक की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी भाजपा का टिकट वितरण सोशल इंजीनियरिंग यानी जातीय समीकरणों के आधार पर होगा। भाजपा ने गुजरात और कर्नाटक में 50 फीसदी के लगभग टिकट ओबीसी वर्ग की सामान्य सीटों पर दिए हैं। मध्यप्रदेश में भी यही फार्मूला लागू होगा। दोनों ही स्थानों पर पार्टी ने 50 फीसदी उम्मीदवार 50 से कम आयु के उतारे, जिसका लाभ गुजरात में भाजपा को मिला है। कर्नाटक् में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भाजपा बूथ मैनेजमेंट, टिकट वितरण के फार्मूले और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के बल पर मुकाबले में आती जा रही है। हालांकि अभी भी माना जा रहा है कि कर्नाटक में भाजपा के हाथ में सत्ता जाने की संभावना है। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के नेतृत्व में लगातार सोशल इंजीनियरिंग की जा रही है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में अति पिछड़ों के लिए चार कल्याण बोर्ड गठित करने का जो ऐलान किया जा वह इसी रणनीति के तहत था। भाजपा का पूरा फोकस मतदान केंद्र प्रबंधन के अलावा जातीय समीकरणों को साधने का भी है। मुख्यमंत्री शिवाज सिंह चौहान ने पिछले विधानसभा चुनाव के समय भी विभिन्न जातीय समूहों को महापंचायत के नाम पर बुलाया था और भाजपा का नेटवर्क मजबूत करने की कोशिश की थी। शिवराज सिंह चौहान इसी रणनीति पर काम कर रहे हैंं। प्रदेश में 52 फीसदी ओबीसी मतदाता है। इसके अलावा 15 फीसदी दलित और 20 फीसदी आदिवासी मतदाता प्रदेश निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। प्रदेश के ओबीसी दलित और आदिवासी मतदाता जिस दल को पसंद करते हैं वही दल सत्तारूढ़ होता है। इसी वजह से दोनों प्रमुख दलों का फोकस इन तीन प्रमुख वर्गों पर बना हुआ है। कांग्रेस के लिए ओबीसी मतदाता हमेशा से ही कठिन चुनौती रहे हैं। कांग्रेस के पास प्रदेश स्तर पर ओबीसी नेताओं का अभाव है। अरुण यादव, नर्मदा प्रसाद प्रजापति और जीतू पटवारी जैसे नेता ओबीसी वर्ग केा लुभा सकते हैं लेकिन यह तीनों ही नेता हाशिए पर हैं। जीतू पटवारी और अरुण यादव दिग्विजय सिंह कैम्प के होने के कारण कमलनाथ के निशाने पर रहते हैं जबकि नर्मदा प्रसाद प्रजापति को फिलहाल कोई महत्व नहीं दिया जा रहा। जबकि भाजपा के पास ओबीसी नेताओं की फौज है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती, प्रहलाद पटेल, गौरीशंकर बिसेन जैसे कई नेता भाजपा के पास हैं। ओबीसी वग्र हमेशा से भाजपा का वोट बैंक रहा है। खास तौर पर कुर्मी, पाटीदार, धाकड़ किरार, कुशवाहा, लोधी, सेन समाज, रजक समाज भाजपा का कोर वोटर माना जाता है। राहुल गांधी द्वारा मोदी की जाति के खिलाफ कथित टिप्पणी पर सूरत कोर्ट ने फैसले को भी भाजपा कर्नाटक में जमकर भुना रही है। पार्टी ने कांग्रेस पर ओबीसी वर्ग का अपमान करने का आरोप लगाया है। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने चुनाव सभा के दौरान मोदी को जहरीले सांप की तरह बताया था। इस मुद्दे को भी भाजपा पिछड़े वर्ग के विरोध से जोड़ रही है। अयोध्या आंदोलन के दौरान भाजपा ने जिस तरह से सोशल इंजीनियरिंग की उससे वह पिछड़े वर्ग में अपनी पैठ बनाने में सफल हुई है। पिछले वर्ष जुलाई में सम्पन्न पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने सामान्य सीटों पर भी ओबीसी प्रत्याशियों को बहुतायत में खड़ा किया जिसका अच्छा नतीजा उसे प्राप्त हुआ है। विधानसभा और लोकसभा में भी भाजपा ने ओबीसी वर्ग को अच्छा प्रतिनिधित्व दिया था। पंचायत एवं निकाय चुनाव के पहले कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण को मुद्दा बनाने की कोशिश की थी जो विफल रही है। अब कांग्रेस इस आरक्षण को लेकर कोई बात नहीं करती। दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार विभिन्न समाजों की पंचायतों को संबोधित कर रहे हैं। सरकार इन पंचायतों के लिए अनेक घोषणाएं भी कर रही हैं।

Author: mithlabra
