ग्राम कुथरेल में सदगुरू कबीर प्रकट उत्सव मनाया गया, मंत्री ताम्रध्वज ने कहा कबीर के विचारों को मानव जीवन में उतारने की ज़रूरत

दक्षिणापथ. दुर्गग्रामीण विधान सभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत कुथरेल में सदगुरु कबीर प्रकोट उत्सव का आयोजन  गरिमाय वातावरण में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुवात  संतों व महंतो द्वारा कबीर साहेब के चित्र पर पूजा अर्चना किया गया। तत्पश्चात प्रभात फेरी ग्राम का भ्रमण कर नारे-जयकारे एवं आमीन माला मंडली ग्राम खुटेरी सोमनी के  द्वारा भजन गाते उस भ्रमण किया गया। गन्नूदास  महंत दल्लीराजहरा एवं हरदास  महंत  ग्राम मोहतारा साजा के  द्वारा कबीर भजन सत्संग कर रसपान मिला कर कबीर साहेब की  अवतरण की कथा सुनाई गई।  कार्यक्रम मुख्य अतिथि  प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज  साहू थे। कार्यक्रम के अध्यक्षता  नंदकुमार सेन  अध्यक्ष केश शिल्प बोर्ड , देवेन्द्र देशमुख जनपद अध्यक्ष  विशेष अतिथि  सचिव जिला कांग्रेस कमेटी प्रदीप चन्द्राकर   सरपंच  राजश्री चन्द्राकर, पूर्व सरपंच लोकनाथ साहू उपसरपंच लोमश चंद्राकार, प्रांतिय उपाध्यक्ष मानिकपुरी समाज ,सुंदर दास मानिकपुरी, जिला अध्यक्ष सुरेशदास मानिकपुरी उपस्थित थे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ताम्रध्वज साहू ने  उद्बोधन में कहा की ” संत कबीर साहेब जी ने समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं आडंबरों का पूरा जीवन विरोध किया। उनकी वाणी को आत्मसात कर जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। आज के दौर में उनके विचारों को मानव जीवन में उतारने की ज़रूरत है।
केश शिल्प बोर्ड के अध्यक्ष नंदकुमार सेन  ने बताया कबीर साहेब की वाणी वचन या उनके दोहे हमें सफलता की ओर ले जाती है. आगे उन्होंने कहा कि उनके दोहे और उनके विचार इतने उच्च स्तर के है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साईं इतना दीजिए जामे कुटुम्ब समाय मैं भी भूखा ना रहूं साधु भी भूखा ना जाए. स्वयं के परिवार की चिंता के साथ अपने द्वार पर आने वाले साधु की चिंता करने का विचार हमें कबीर साहेब के दोहे में ही मिलता है.

तत्पश्चात रायपुर कबीर किर्तन जत्था तेलीबांधा से पधारे  देवेंदर सिंग सिब्बल, प्रदीप सिंह के भजनों ने  समा बांध दिया। साथ ही सामाजिक  बच्चों की रंगारंग प्रस्तुति, उत्कृट मेधावी बच्चों सम्मान किया गया। आयोजन  में  परिक्षेत्रीय अध्यक्ष चेतन दास मानिकपुरी, हेमेंद्र दास , सागर दास, नरेंद्र दास, सुखदास, रामदास, कौशल दास, भीमेंद्र दास, रमेश बबलु सहित समाजिक बंधु बड़ी संख्या में मौजूद थे।

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Author: mithlabra